डॉक्टर, नर्स और पैरामेडिकल स्टाफ, यही हैं हमारे आज के असली योद्धा

 कोरोना से हमारी और आपकी जंग तो घरों में रहने तक सीमित है। लेकिन उनके बारे में सोचिए, जो बिना थके वायरस के हर शिकार को ढूंढ़ने और ठीक करने का जिम्मा लिए डटे हुए हैं। ये डॉक्टर हैं, नर्स हैं, पैरामेडिकल स्टाफ है। घर-परिवार, खुद की फिक्र और तकलीफें भूलकर मरीजों की सेवा में लगे हैं। वर्ल्ड हेल्थ डे पर पढ़िए ऐसे ही योद्धाओं की 8 कहानियां...



समर्पण: मरीजों की देखभाल में जुटे डॉक्टर पिता घर आए, बाहर से ही बेटी को जन्मदिन की बधाई दी और लौट गए


जोधपुर के मथुरादास माथुर अस्पताल में कोरोना नोडल अधिकारी डाॅ. बीएस परिहार की बेटी हिरल का बीते बुधवार को 10वां जन्मदिन था। लेकिन वे उसके साथ जन्मदिन नहीं मना सकें। अब 5 दिन बाद जब वे घर आए, तो भी अंदर नहीं गए। उन्होंने घर के बाहर से ही बेटी हिरल को बर्थडे विश किया और ड्यूटी पर लौट गए।